Friday, December 7, 2012


ॐ सांई राम
तेरी चौखट पे आये हैं, तेरे ही घर में बैठेंगे
तेरी मिट्टी में बैठेंगे, तेरे पत्थर पे बैठेंगे


चमन रंगीं बनेगा जब, तेरी आँखों की लाली से

...
हमें जिस फूल को चुनना है, उसे ले लेंगे माली से
तेरे काँटों में बैठेंगे, तेरी चादर में बैठेंगे
तेरी चौखट पे आये हैं, तेरे ही घर में बैठेंगे


हमें इक काम है छोटा सा, इसे तुम ही कर सकते हो

दया से झोली भर देना, इसे तुम ही भर सकते हो
तेरी रहमत में बैठेंगे, तेरे तेवर में बैठेंगे
तेरी चौखट पे आये हैं, तेरे ही घर में बैठेंगे


अँधेरा सामने भी हो, तो कोई गम नहीं होगा

तिलक है लाल जो मस्तक का, दीये से कम नहीं होगा
तेरी कश्ती में बैठेंगे, तेरे सागर में बैठेंगे
तेरी चौखट पे आये हैं, तेरे ही घर में बैठेंगे


इबादत का नशा हमको, तेरी महफ़िल में लाया है

नई मंज़िल दिखाई है, नया रास्ता दिखाया है
तेरी मस्जिद में बैठेंगे, तेरे मंदिर में बैठेंगे
तेरी चौखट पे आये हैं, तेरे ही घर में बैठेंगे

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